Medical And Surgical Abortion Procedure in Hindi – इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर एक महिला गर्भवती है और वह बच्चा नहीं चाहती. गर्भ के 20 हफ्तों तक गर्भपात कराना भारत में कानूनी तौर पर मान्य है. गर्भ को खत्म करना एक महिला के जीवन की आम और साधारण घटना है. तो अगर आप भी किसी अनचाहे गर्भ के बारे में सोच कर परेशान हैं या फिर आप गर्भपात से जुड़ी टेक्नीकल बातें जानना चाहती हैं, तो फिर गर्भपात की इस आसान गाइड को जरूर पढ़िए, क्योंकि भारत में हर दो घंटे में एक महिला की मृत्यु असुरक्षित गर्भपात की वजह से होती है.
अबॉर्शन कितनी तरह का होता है?:गर्भ से छुटकारा पाने के दो तरीके हैं. एक मेडिकल और दूसरा सर्जिकल. मेडिकल एबॉर्शन में आप गोली खाकर गर्भपात करती हैं और सर्जिकल एबॉर्शन में डॉक्टर खुद आपके गर्भ को निकाल देता है. आप इनमें से कौन सा तरीका चुनेंगी, ये एक तो आपके गर्भ के समय पर निर्भर करता है. दूसरा आपकी अपनी Priority पर. First quarter (1 से 12 हफ्ते) के दौरान किए गए गर्भपात सबसे सुरक्षित होते हैं और इनसे आने वाले समय में आपकी प्रजनन क्षमता पर कोई खतरा होने की संभावनाएं कम होती हैं.
मेडिकल अबॉर्शन क्या है?: मेडिकल अबॉर्शन के दौरान गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है. इन गोलियों की वजह से गर्भाशय की लाइनिंग को नष्ट कर दिया जाता है, जिससे भ्रूण गर्भाशय से अलग हो जाता है और गर्भ खत्म हो जाता है. इस दौरान मिफोप्रिस्टोन और मिसोप्रिस्टोल दो गोलियां लेनी होती हैं.
कैसे काम करता है मेडिकल अबॉर्शन : How abortion works?
- स्टेप 1: अस्पताल या क्लीनिक सबसे पहले एक वैजाइनल अल्ट्रासाउंड करता है, जिससे कि गर्भ की आयु व गर्भाशय की Stage के बारे में जाना जा सके. स्टमक सोनोग्राफ इस समय काम नहीं आता क्योंकि भ्रूण का आकार बेहद छोटा होता है, और उसे बाहरी जांच में नहीं देखा जा सकता.
- स्टेप 2: अगर गर्भ की आयु 10 या 12 सप्ताह तक की होती है तो मेडिकल अबॉर्शन एक सुरक्षित तरीका हो सकता है. (आदर्श स्थिति 10 सप्ताह के पहले की ही है.) गायनाकॉलोजिस्ट इस समय एक गोली खाने को देगी, जिससे गर्भाशय (Uterus) मुलायम हो जाएगा.
- स्टेप 3: पहली गोली लेने के चौबीस घंटे बाद वापस अस्पताल जाना होता है. अगली गोली वैजाइना में रखी जाती है.
- स्टेप 4: अगले कुछ घंटों में आपको क्रैंप होंगे, जिससे भ्रूण गर्भाशय से बाहर आ सकेगा.
- स्टेप 5:क्रैंप के साथ काफी खून भी निकलेगा पर वह हीमोरेज नहीं होगा.
- स्टेप 6: कुछ घंटों तक चलने वाली यह प्रक्रिया काफी दर्दनाक होती है. पूरे समय आप पसीना और चक्कर आने जैसा भी महसूस करेंगी. बेहतर होगा कि उस वक्त घर पर आपकी देखभाल के लिए कोई मौजूद हो.
- स्टेप 7: भ्रूण के बाहर आने का पता आपको खुद लग जाएगा, ऐसे में खून निकलना अपने आप काफी हद तक कम हो जाएगा. यह प्रक्रिया 6 घंटे तक चल सकती है.
सावधानी:अगर अगले दो दिन तक खून निकलना बंद न हो तो आपको तुरंत अपनी जांच कराने की जरूरत है क्योंकि इसका अर्थ है कि गर्भपात पूरी तरह नहीं हुआ.
सर्जिकल अबॉर्शन क्या है?: सर्जिकल एबॉर्शन दो तरह के होते है, #1.वैक्यूम एस्पिरेशन (15 सप्ताह तक), #2.डाइलेशन एंड इवेकुएशन या डी&ई (15 से 24 सप्ताह तक) दोनो तरह के सर्जिकल अबॉर्शन में से आपकी डॉक्टर कौन सा आपके लिए चुनती है, यह आपके गर्भ की उम्र पर निर्भर करता है. वैक्यूम एस्पिरेशन में 5 से 10 मिनट के प्रक्रिया में भ्रूण को गर्भाशय से वैक्यूम सक्शन द्वारा निकाल लिया जाता है. हालांकि डाइलेशन एंड इवेकुएशन या डी&ई भी वैक्यूम एस्पिरेशन की ही तरह है पर इसमें गर्भाशय के द्वार को चौड़ा किया जाता है.
कैसे काम करती है सर्जिकल प्रोसेस?
- स्टेप 1: वैक्यूम एस्पिरेशन 15 सप्ताह के गर्भ तक किया जा सकता है.
- स्टेप 2: वैजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए आपको 12 घंटे तक बिना कुछ खाए रहने के बाद क्लीनिक आना होगा.
- स्टेप 3: प्रक्रिया की शुरुआत में आपको कई इंजेक्शन दिए जाएंगे.
- स्टेप 4: एक लोकल या जनरल एनस्थीसिया देने के बाद आपके पांव बांध दिए जाएंगे ताकि गर्भाशय साफ नजर आ सके.
- स्टेप 5: एक खास तरह की सिरिंज भ्रूण को बाहर निकाल देती है. अगर गर्भावस्था 15 सप्ताह के बाद की है तो फोरसैप्स की मदद से गर्भाशय के द्वार को फैलाने के बाद सक्शन पंप की सहायता से भ्रूण को बाहर निकाला जाएगा.
- स्टेप 6:अगर Trained डॉक्टरों की मदद ली गई हो तो दोनों ही तरह की सर्जिकल प्रक्रियाएं सुरक्षित हैं. पर आपको एंटीबायोटिक लेनी होंगी ताकि इनफेक्शन के खतरे से बचा जा सके.
- स्टेप 7: अगले एक दो घंटे तक आपको चक्कर महसूस हो सकते हैं, ऐसे में आपके साथ किसी विश्वसनीय व्यक्ति का साथ होना जरूरी है.
गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती हो सकती हैं आप: एक गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती होने की संभावनाओं पर चिंतित होना स्वाभाविक है. पर सच्चाई यह है कि अगर अनुभवी डॉक्टर की उपस्थिति में गर्भपात किया गया हो तो खतरे की संभावना बेहद कम है.
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