भारतीय तलाक कानून – Indian Divorce Law in Hindi, Bhartiya Talaak Kanoon
Indian Divorce Law in Hindi – भारत में तलाक और दुबारा विवाह को कानून की मंज़ूरी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत मिली हुई है. परन्तु करीबन 55 साल के चले आ रहे इस कानून की तुलना अगर हम मौजूदा परिप्रेक्ष्य में करें तो हर पुरानी हुई चीज़ की तरह इसमें भी त्रुटियां है अतः इस कानून में भी बदलाव की ज़रूरत है.
इसी के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा अधिनियम में बदलाव के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी. सरकार इसके लिए विवाह कानून संशोधन विधेयक संसद में पेश करेगी. सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के अनुसार कानून में नए संशोधनों के तहत वैवाहिक रिश्तों के खत्म होने को तलाक का आधार बनाया गया है अतः अब तलाक लेना आसान हो जाएगा.
विवाह दो दिलों का मिलन – Indian Divorce Law in Hindi
विवाह एक ऐसा पवित्र बंधन है जहाँ दो दिल और दो परिवार आपस में एक अनूठे बंधन में बंध जाते हैं. एक लडकी अपना परिवार छोडकर अपने पति का साथ निभाने के लिए उसके परिवार का हिस्सा बन जाती है. कहते हैं कि जीवन एक गाडी की तरह है और पति-पत्नी उस गाडी के दो पहिये, जिनके संतुलन से जीवन की गाड़ी चलती है. अगर संतुलन बना रहेगा तो गाडी सही चलेगी, परन्तु यदि एक भी पहिए का संतुलन बिगड़ा तो वह परिवार बिखरने की स्थिति में आ जाता है और तलाक तक की नौबत आ जाती है. परन्तु क्या तलाक बिगड़ते हुए रिश्तों को सुलझाने की सही दवा है? क्या शादी जैसे पवित्र रिश्ते की डोर इतनी कमज़ोर होती है कि आपसी कलह के चलते इस डोर को तोड़ा जा सकता है?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 को भारतीय परिवारों की अखंडता का मुख्य कारण भी कहा जा सकता है. यह हिंदू विवाह अधिनियम की जटिलता ही है जिसके कारण आज भी हम एक परिवार में रहते हैं. हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार एक दम्पत्ति नाजायज़ शारारिक संबंध, आपसी झगड़े के बढ़ने, दूसरे साथी के मानसिक रूप से बीमार होने या फिर हिंदू धर्म से किसी और धर्म में परिवर्तित होने की स्थिति में तलाक के लिए न्यायालय जा सकता है. अगर कोई दम्पत्ति तलाक के सिलसिले में कानून का दरवाज़ा खटखटाता है तो ऐसी स्थिति में न्यायालय दोनों को कुछ वक्त तक अलग रहने या साथ रहने को कह सकता है ताकि वह अपने फैसले पर पुनःविचार कर सकें और तलाक लेने के फैसले को बदल सकें.
क्या है परिवार न्यायालय – Indian Divorce Law in Hindi
परिवार न्यायालय एक विशेष तरह का न्यायलय है जिसे तहत परिवार में बढते आपसी झगड़े और कलह को आसानी से सुलझाने का प्रयत्न किया जाता है. अगर एक दंपत्ति के जीवन में परेशानी है और वह तलाक लेना चाहते हैं तो ऐसे स्थिति में परिवार न्यायालय उनको छः महीनों तक अलग रहने का आदेश देता है जिससे वह अपने फैसले पर पुनः विचार कर सके.
तलाक के प्रमुख कारण – Indian Divorce Law in Hindi
- किसी और व्यक्ति या स्त्री से शारीरिक संबंध होना.
- नपुंसकता दूसरा कारण है जिसके द्वारा तलाक की नौबत उत्पन्न होती है.
- आपके जीवनसाथी का अतीत भी तलाक की वजह बन सकता है.
- किसी व्यक्ति का मानसिक रूप से सही ना होना.
- धोखा देना या बेवफाई करना.
- शादी के बाद दहेज की मांग करना.
- एक दूसरे के विचारों में समानता ना होना.
- आर्थिक तंगी के चलते.
- अगर आप किसी तरह का नशा करते हों.
- दोनों के शैक्षिक योग्यता में अंतर होना.
- सांस्कृतिक या जाति-धर्म का अंतर होना.
- दूसरे व्यक्ति का आपके घरेलू मामलों में दखल देना.
- आपसी कलह और झगड़ा.
- कहीं कुछ खो रहे हैं हम
अंत में एक सवाल जो सरकार द्वारा उठाए गए कदम से उजागर होता है कि क्या तलाक प्रक्रिया का आसान होना हिंदू या भारतीय समाज के लिए उचित है? क्योंकि अभी तक चले आए नियमों और कानूनों के चलते ही विश्व में भारतीयों की पारिवारिक एकता और अखंडता की बात होती थी. पूरा विश्व जानता है कि भारत विश्व में अपनी सभ्यता के लिए सबसे धनी राष्ट्र है जहाँ आज भी आपसी रिश्तों को उच्च दर्जा दिया जाता है. परन्तु कहीं इस बदलाव के रहते हम कुछ खो तो नहीं देंगे.
Eisa Rahi – Indian Divorce Law in Hindi
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