झूठे और अश्लील विज्ञापन एक क्राइम है – Fake Advertising is a Crime Hindi
Fake Advertising is a Crime Hindi – कोई भी प्रकाशन जो अश्लीलता या किसी अपराध को बढावा देता है उसमें अख़बार मालिक,सम्पादक,प्रकाशक और विज्ञापन दाता सब अपराधी होते हैं। मान लीजिये अश्लीलता या जिस्म फरोशी का न्योता दोस्ती के नाम पर है तो इस अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के अंतर्गत विज्ञापन प्रकाशित करने वाला अखबार भी समान रूप से अपराधी है, क्योंकि इस अपराध की बुनियाद अख़बार का विज्ञापन है और अख़बार में प्रेस पुस्तक पंजीकरण नियमों के तहत ऐसे प्रकाशन प्रतिबंधित हैं।
#1. आए दिनों कई प्रकार के विज्ञापन दैनिक अखबारों में छपते हैं जैसे सेक्स शक्ति बढ़ाने का नुस्खा, इन विज्ञापनों में बहुत ही भद्दे और शर्मसार करने वाले चित्र रहते हैं। क्या ऐसे विज्ञापनों के चित्रों को बंद किया जा सकता है?
#2. दोस्ती करने के संबंध में जो विज्ञापन दैनिक अखबारों में छपते हैं वे तो बिलकुल ही ठग लोगों द्वारा भोले भाले युवकों युवतियों को समाज से गुमराह करने वाला होता है। क्या उस विज्ञापन की सत्यता को जाँचने की जिम्मेवारी संबंधित अखबारों की नहीं होनी चाहिए?
#3. इसी प्रकार युवकों को बिना कोई जमानत के भारी रकम कर्ज के रूप में देने का लालच दिया जाता है क्या ऐसे विज्ञापन पर कानूनी रोक नहीं लग सकती? -शुलभ कुमार, गुजरात
झूठे और अश्लील विज्ञापन एक क्राइम है – Fake Advertising is a Crime Hindi
Fake Advertising is a Crime Hindi – #आप के पहले प्रश्न का उत्तर है कि हमारे देश में प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम बना हे जिसके तहत किसी भी अख़बार या मैगज़ीन प्रकाशन के पहले एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करना पढ़ता है। देश के कानूनों की परिधि में ही अखबार प्रकाशित किया जा सकता है। देश में चमत्कारिक औषधि और चमत्कारिक उपाय (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 बना है। इस कानून में ऐसी किसी भी दवा का विज्ञापन प्रकाशन गैर कानूनी है और जो कम्पनी इस तरह के विज्ञापन छपवाती है उसे तो 6 माह तक सजा हो सकती है। इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित करने वाले अख़बार के स्वामी को दो वर्ष तक की सजा हो सकती है।
मामला संज्ञेय है जिस में शिकायत पर या फिर खुद पुलिस मुकदमा दर्ज कर सकती है। लेकिन इस गेर कानूनी धंधे में अब अख़बार भी लिप्त हें और पुलिस खामोश है, दवा के संबंध में औषधि कानून अलग से बना है जिसमें किसी भी दवा का विज्ञापन अवैध और गैर कानूनी है। ऐसे विज्ञापन प्रकाशन पर दवा निर्माता का लाइसेंस निलम्बित करने और सजा का भी प्रावधान है। वैसे भी किसी भी दवा को चिकित्सक की सलाह के बगैर बेचना ,बिकवाना और खरीदना अपराध है।
#आप का दूसरा प्रश्न दोस्ती करने के संबंध में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों के संबंध में है कि क्या इस ठगी वाले विज्ञापन की सत्यता को जाँचने की जिम्मेदारी संबंधित अखबारों की नहीं होनी चाहिए?
इस मामले में उत्तर यह है कि कोई भी प्रकाशन जो अश्लीलता या किसी अपराध को बढावा देता है उसमें अख़बार मालिक,सम्पादक,प्रकाशक और विज्ञापन दाता सब अपराधी होते हैं। मान लीजिये अश्लीलता या जिस्म फरोशी का न्योता दोस्ती के नाम पर है तो इस अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के अंतर्गत विज्ञापन प्रकाशित करने वाला अखबार भी समान रूप से अपराधी है, क्योंकि इस अपराध की बुनियाद अख़बार का विज्ञापन है और अख़बार में प्रेस पुस्तक पंजीकरण नियमों के तहत ऐसे प्रकाशन प्रतिबंधित हैं।
#कोई भी व्यक्ति अगर अनाम व्यक्ति के विज्ञापन से इस तरह से ठगा जाता है तो अख़बार भी धारा 420, 467 व 120 भा.दं.संहिता के अंतर्गत अपराधी है और उस के संपादक, प्रकाशक व मुद्रक सभी दोषी हैं व सभी को उस के लिए दंड दिया जा सकता है। प्रेस कोंसिल ऐसे अखबारों को अनेक बार फटकर लगा चुकी है, लेकिन उस के बावजूद कानून तोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है।
शुलभ जी, यदि आप इन बातों से व्यथित हैं तो आप को इन बातों की शिकायत पुलिस को करनी होगी और कार्यवाही करने के लिए उन्हें बाध्य करना पड़ेगा। यदि पुलिस ऐसा न करे तो आप सीधे अदालत में शिकायत प्रस्तुत कर के अदालत से पुलिस को कार्यवाही करने लिए आदेश जारी करवा सकते हैं।
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