भोजन में पाये जाने वाले आवश्यक तत्व – Essential elements found in food
भोजन – आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के भोजन सम्बंधी सिद्धांत को एक मत से स्वीकार करते हुए कहा है कि मांसाहार मनुष्य का स्वाभाविक भोजन नहीं है। मांसाहारियों की अपेक्षा शाकाहारी मनुष्य लंबी और निरोगी आयु जीते हैं।
वर्तमान में जो भोजन प्रचलित है उसमें निम्न मुख्य तत्व विद्यमान रहते हैं-
- प्रोटीन।
- कार्बोहाइड्रेट्स।
- वसा।
- काष्ठोज।
- लवण तथा खनिज।
- जल।
- विटामिन।
काष्ठोज परिचय
खाद्य-पदार्थों के महीन और खुरदरे भाग को `काष्ठोज´ कहा जाता है। काष्ठोज भोजन के साथ पचता नहीं है और न हीमल संचित नहीं हो पाता और आसानी के साथ बाहर निकलता है जिससे रोगी को दालों का प्रयोग करने के बावजूद पचता नहीं बल्कि आंतों में साबुत बचा रहता है। इसीलिए कब्ज के अधिकांश मामलों में फलों तथा सब्जियों को इसी वजह से बिना छिलका उतारे पकाने के लिए कहा जाता है ताकि उनका काष्ठोज भाग भोजन में शामिल रहे और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहें।
निम्नलिखित खाद्यों में काष्ठोज की प्रतिशत मात्रा दर्शायी गई है जो इस प्रकार हैं-
संख्या | खाद्य–पदार्थ | काष्ठोज का प्रतिशत |
1. | गेहूं | 2.9 प्रतिशत |
2. | चावल | 0.7 प्रतिशत |
3. | मसूर की दाल | 4.1 प्रतिशत |
4. | फूलगोभी | 130.0 प्रतिशत |
5. | मूली | 120.0 प्रतिशत |
6. | खीरा | 140.0 प्रतिशत |
7. | प्याज | 5.0 प्रतिशत |
8. | मैदा | 0.4 प्रतिशत |
9. | पालक | 8.1 प्रतिशत |
10. | सेब | 100.0 प्रतिशत |
11. | कमरकल्ला | 180.0 प्रतिशत |
12. | आलू | 3.1 प्रतिशत |
13. | लोबिया | 4.1 प्रतिशत |
14. | हरी मटर | 8.7 प्रतिशत |
15. | खरबूजा | 22.0 प्रतिशत |
16. | स्ट्रॉबेरी | 19.0 प्रतिशत |
17. | गाजर | 8.8 प्रतिशत |
18. | नाशपाती | 25.0 प्रतिशत |
प्रोटीन – Protein
भोजन का मुख्य आवश्यक तत्व है- प्रोटीन। यही तत्व शरीर की कोशिकाओं अर्थात् मांस आदि का निर्माण करता है। इसकी प्रचुर मात्रा भोजन में रहने से शरीर की कोशिकाओं का निर्माण और मरम्मत आदि का कार्य सुचारू रूप से जीवन भर चलता रहता हैं। प्रोटीन में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा गंधक के अंश मिले रहते हैं। इसमें फास्फोरस भी विद्यमान हो सकता है। प्रोटीन में नाइट्रोजन की अधिकता रहती है।
प्रोटीन दो प्रकार का होता है (1) पशुओं से प्राप्त होने वाला (2) फल, सब्जियों तथा अनाज आदि से मिलने वाला। हालांकि शरीर में यदि प्रोटीन अधिक हो जाए तो मल द्वारा बाहर निकल आता है। फिर भी दैनिक आवश्यकता के लिए नियमित प्रोटीन की आवश्यकता शरीर को रहती है लेकिन इस बात की ओर भी ध्यान देना अति आवश्यक है कि आवश्यकता से अधिक प्रोटीन लाभ की अपेक्षा शरीर को हानि भी पहुंचा सकता है परन्तु जब भोजन के बाद भी शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाए तो बाहर से कृत्रिम तरीके से निर्मित प्रोटीन से उस कमी की पूर्ति करना बहुत जरूरी होता हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति किलोग्राम वजन के अनुपात से मनुष्य को एक ग्राम प्रोटीन की आवश्कता होती हैं अर्थात यदि वजन 50 किलो है तो नित्य 50 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन में मौजूद पाया जाता है। यदि दोनों को भोजन में एक साथ लिया जाए तो शरीर में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा शामिल की जा सकती है। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि शरीर में जीवनीय तत्वों की कमी न हो तो शरीर रोगों से बचा रहता है। संक्रमणजन्य रोगों से बचाव के लिए प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है।
प्रोटीन के स्रोत-
अण्डे की सफेदी, दूध, दही, पनीर, मछली, मांस, यकृत, वृक्कों और दिमाग में सर्वोत्तम किस्म की प्रोटीन विद्यमान है। दालों, हरी सब्जियों और अनाजों में दूसरे किस्म का प्रोटीन पाया जाता है।
अण्डे में प्रोटीन | ||
क्र.स. | अंडा | प्रोटीन |
1. | पूर्ण अंडा | 13.0 प्रतिशत |
2. | अंडे की सफेदी | 10.5 प्रतिशत |
3. | अंडे की जर्दी | 17.0 प्रतिशत |
दूध में प्रोटीन | ||
क्र.स. | प्राणी का नाम | प्रोटीन |
1. | गाय का दूध | 3.4 प्रतिशत |
2. | बकरी का दूध | 4.4 प्रतिशत |
3. | भेड़ का दूध | 6.7 प्रतिशत |
4. | भैंस का दूध | 5.9 प्रतिशत |
5. | स्त्री का दूध | 1.7 प्रतिशत |
प्रोटीन की आवश्यकता
- बच्चों को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उनका शरीर विकास कर रहा होता है।
- बुढ़ापे में भी शरीर को प्रोटीन की अत्यधिक आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक ऐसी अवस्था होती है जब प्रोटीन जल्दी हजम हो जाता है। इस आयु में यदि प्रोटीन की मात्रा घट गई तो जीवन शक्ति का अभाव हो जाता है। इसलिए इस अवस्था में खाद्य पदार्थों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
- गर्भावस्थामें मां के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रोटीन की अत्यधिक आवश्यकता होती है। प्रोटीन गर्भ में पल रहे बच्चे की शरीर के विकास में जरूरी होती है। फिर मां के स्वास्थ्य के लिए तो यह जरूरी है ही। प्रोटीन की कमी इस अवस्था में मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। अत: यह अति आवश्यक है कि गर्भावस्था में माता को प्रोटीनयुक्त खाद्य अधिक से अधिक प्रयोग कराया जाए।
- जिस प्रकार गर्भावस्था में माता को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार दूध पिलाने वाली माता को भी प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में प्रोटीन की कमी मां और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। दूध पिलाने वाली माताओं और गर्भवती स्त्री को दोनों प्रकार के प्रोटीन देने चाहिए।
- रोगों के बाद रोगी के शरीर की शक्ति क्षीण हो चुकी होती है। इस अवस्था में रोगी दीन-हीन व असहाय हो जाता है। रोगी के शरीर के तंतु, कोशिकाएं आदि काफी टूट-फूट चुके होते हैं अत: उन्हें नई जीवन शक्ति और मजबूती प्रदान करने की खातिर अधिकाधिक दोनों प्रकार के प्रोटीन देने चाहिए ताकि शरीर की खोई हुई शक्ति को पुन: प्राप्त कर सके। जिन लोगों को रोगों के बाद या ऑप्रेशन के बाद उचित खाद्य प्रोटीन नहीं मिलते उनके पुन: रोगी हो जाने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। रोगी का शरीर पहले ही रोग से टूट चुका होता है। उसके बाद खान-पान सही नहीं होने से शरीर की शक्ति और अधिक तेजी से नष्ट होती है और रोग दुबारा आ घेरता है।
वसा (चर्बी) – Fat
वसा अर्थात चिकनाईशरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। यह प्राणी समूह तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 100 ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना अति आवश्यक माना जाता है। यह काफी देर से पचती है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए जरूरी होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता है। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसकी अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है इसलिए भोजन में इसकी मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसको संतुलित मात्रा में लेना ही लाभदायक है।
फलों में प्रोटीन, चर्बी, शर्करा तथा जल की मात्रा (प्रति 100 ग्राम में) | |||||
क्रमांक | फलों के नाम | प्रोटीन | चर्बी | शर्करा | जल |
1. | आम (पका हुआ) | 0.6 | 0.1 | 11.8 | 86.1 |
2. | आम (कच्चा) | 0.7 | 0.1 | 8.8 | 90.0 |
3. | सेब | 0.3 | 0.2 | 13.4 | 85.9 |
4. | अंगूर | 0.8 | 0.1 | 10.2 | 85.5 |
5. | केला | 1.3 | 0.2 | 36.4 | 61.4 |
6. | अमरूद | 1.5 | 0.2 | 14.5 | 16.1 |
7. | अनन्नास | 0.6 | 0.1 | 12.0 | 87.5 |
8. | पका पपीता | 0.5 | 0.1 | 9.5 | 89.6 |
9. | जामुन | 0.7 | 0.1 | 19.7 | 68.2 |
10. | तरबूज | 0.1 | 0.2 | 3.8 | 95.7 |
11. | नाशपाती | 0.2 | 0.1 | 11.5 | 86.9 |
12. | अनार | 1.6 | 0.1 | 14.6 | 68.0 |
सब्जियों में प्रोटीन, चर्बी, शर्करा तथा जल की मात्रा (प्रति 100 ग्राम में) | |||||
क्रमांक | सब्जियों के नाम | प्रोटीन | चर्बी | शर्करा | जल |
1. | गाजर | 0.6 | 0.2 | 10.8 | 86.0 |
2. | आलू | 1.6 | 0.1 | 22.9 | 74.7 |
3. | करेला | 1.6 | 0.2 | 4.2 | 92.4 |
4. | कच्चा केला | 1.4 | 0.2 | 14.7 | 83.2 |
5. | फूलगोभी | 3.5 | 0.4 | 5.3 | 89.4 |
6. | लौकी | 1.4 | 0.1 | 5.3 | 89.4 |
7. | कटहल | 1.9 | 0.1 | 18.9 | 77.2 |
8. | टमाटर | 1.0 | 0.1 | 3.9 | 94.5 |
9. | मटर | 7.2 | 0.1 | 19.8 | 72.1 |
10. | प्याज | 1.2 | 0.1 | 11.6 | 86.8 |
11. | मूली | 0.7 | 0.1 | 4.1 | 94.4 |
12. | अरबी | 3.0 | 0.1 | 22.1 | 73.1 |
13. | चना (शाक) | 8.2 | 0.5 | 27.2 | 60.0 |
14. | पालक (भाजी) | 1.9 | 0.9 | 4.0 | 91.7 |
15. | चौलाई (भाजी) | 1.6 | 0.5 | 5.7 | 85.3 |
16. | कलमी (शाक) | 2.9 | 0.4 | 4.3 | 90.3 |
17. | चुकन्दर | 1.7 | 0.1 | 13.6 | 33.3 |
18. | बंदगोभी | 80.5 | 0.1 | 6.3 | 68.6 |
19. | बैंगन | 1.3 | 0.3 | 6.4 | 61.5 |
20. | खीरा | 0.4 | 0.1 | 2.8 | 96.4 |
21. | सहजन | 2.5 | 0.1 | 3.7 | 86.9 |
22. | भिंडी | 2.2 | 0.2 | 7.7 | 88.0 |
खाद्यान्नों में प्रोटीन, चर्बी, शर्करा तथा जल की मात्रा (प्रति 100 ग्राम में) | |||||
क्रमांक | खाद्य के नाम | प्रोटीन | चर्बी | शर्करा | जल |
1. | चावल | 6.9 | 0.4 | 79.2 | 13.0 |
2. | मैदा | 11.0 | 0.9 | 74.1 | 13.3 |
3. | चना | 17.1 | 5.3 | 61.2 | 9.8 |
4. | मसूर | 25.1 | 0.7 | 59.7 | 12.4 |
5. | उड़द | 24.0 | 1.4 | 60.3 | 10.9 |
6. | मूंग | 24.0 | 1.1 | 56.6 | 10.4 |
7. | सोयाबीन | 43.2 | 19.5 | 20.9 | 8.1 |
8. | मटर | 19.7 | 1.1 | 56.6 | – |
9. | मकई (कोमल) | 4.3 | 0.5 | 15.1 | 79.1 |
10. | मकई (सूखी हुई) | 11.1 | 3.6 | 66.2 | 14.9 |
जल – Water
पानी हमारे भोजन का एक प्रमुख व महत्वपूर्ण घटक है। मानव शरीर में बचपन में लगभग 75 प्रतिशत एवं बुढ़ापे में लगभग 60 प्रतिशत पानी होता है। पानी कोशिकाओं के मध्य भरा रहता है, जोकि रक्त में प्लाजा के रूप में आंत्र रस, लसिका (लिम्प), यकृत एवं बैक्ट्रीयाज के स्राव में पाया जाता है।
मानव शरीर की संरचना | |
पदार्थ | प्रतिशत |
जल | 63 |
प्रोटीन | 17 |
वसा | 12 |
खनिज | 7 |
कार्बोहाइड्रेट | 1 |
जल के कार्य-
- शरीर संरचना का अधिकांश भाग जल होता है।
- लगभग सभी चयापचयी क्रियाओं का माध्यम जल ही होता है।
- रक्त में अधिकांश भाग जल का होता है, जोरक्तसंचार का माध्यम है।
- शरीर केउत्सर्जन क्रिया में उत्सर्जक पदार्थों को मूत्र एवं पसीने द्वारा बाहर करने में जल सहायक होता है।
- खाद्य में लिये गये पदार्थों का पाचन, अवशोषण एवं आवश्यकता वाले भागों में पहुंचाने का कार्य करता है।
- शरीर के तापक्रम नियंत्रण में सहायक होता है।
- श्लेष्मा भागों में जल लुब्ररीकेशन का काम करता है।
मानव शरीर में जल के स्रोत-
खाद्य-पदार्थों, हरी-सब्जियों, रसों, पेय-पदार्थों आदि से शरीर को जल की आपूर्ति होती है। पानी की कमी से प्यास, मूर्च्छा या बेहोशी जैसे लक्षण प्रकट होते हैं तो पानी की अधिकता से भोजन पाचन में कठिनाई, वमन, अतिसार जैसे विकार भी होते हैं। जल शरीर की अतिरिक्त गर्मी निकालता है और शरीर को जीवन देता है।
फलों में प्रोटीन, चर्बी, शर्करा तथा जल की मात्रा (प्रति 100 ग्राम में) | |||||
क्रमांक | फलों के नाम | प्रोटीन | चर्बी | शर्करा | जल |
1. | आम (पका हुआ) | 0.6 | 0.1 | 11.8 | 86.1 |
2. | आम (कच्चा) | 0.7 | 0.1 | 8.8 | 90.0 |
3. | सेब | 0.3 | 0.2 | 13.4 | 85.9 |
4. | अंगूर | 0.8 | 0.1 | 10.2 | 85.5 |
5. | केला | 1.3 | 0.2 | 36.4 | 61.4 |
6 | अमरूद | 1.5 | 0.2 | 14.5 | 16.1 |
7. | अनन्नास | 0.6 | 0.1 | 12.0 | 87.5 |
8. | पका पपीता | 0.5 | 0.1 | 9.5 | 89.6 |
9. | जामुन | 0.7 | 0.1 | 19.7 | 68.2 |
10. | तरबूज | 0.1 | 0.2 | 3.8 | 95.7 |
11. | नाशपाती | 0.2 | 0.1 | 11.5 | 86.9 |
12. | अनार | 1.6 | 0.1 | 14.6 | 68.0 |
सब्जियों में प्रोटीन, चर्बी, शर्करा तथा जल की मात्रा (प्रति 100 ग्राम में) | |||||
क्रमांक | सब्जियों के नाम | प्रोटीन | चर्बी | शर्करा | जल |
1. | गाजर | 0.6 | 0.2 | 10.8 | 86.0 |
2. | आलू | 1.6 | 0.1 | 22.9 | 74.7 |
3. | करेला | 1.6 | 0.2 | 4.2 | 92.4 |
4. | कच्चा केला | 1.4 | 0.2 | 14.7 | 83.2 |
5. | फूलगोभी | 3.5 | 0.4 | 5.3 | 89.4 |
6. | लौकी | 1.4 | 0.1 | 5.3 | 89.4 |
7. | कटहल | 1.9 | 0.1 | 18.9 | 77.2 |
8. | टमाटर | 1.0 | 0.1 | 3.9 | 94.5 |
9. | मटर | 7.2 | 0.1 | 19.8 | 72.1 |
10. | प्याज | 1.2 | 0.1 | 11.6 | 86.8 |
11. | मूली | 0.7 | 0.1 | 4.1 | 94.4 |
12. | अरबी | 3.0 | 0.1 | 22.1 | 73.1 |
13. | चना (शाक) | 8.2 | 0.5 | 27.2 | 60.0 |
14. | पालक (भाजी) | 1.9 | 0.9 | 4.0 | 91.7 |
15. | चौलाई (भाजी) | 1.6 | 0.5 | 5.7 | 85.3 |
16. | कलमी (शाक) | 2.9 | 0.4 | 4.3 | 90.3 |
17. | चुकन्दर | 1.7 | 0.1 | 13.6 | 33.3 |
18. | बंदगोभी | 80.5 | 0.1 | 6.3 | 68.6 |
19. | बैंगन | 1.3 | 0.3 | 6.4 | 61.5 |
20. | खीरा | 0.4 | 0.1 | 2.8 | 96.4 |
21. | सहजन | 2.5 | 0.1 | 3.7 | 86.9 |
22. | भिन्डी | 2.2 | 0.2 | 7.7 | 88.0 |
खाद्यान्नों में प्रोटीन, चर्बी, शर्करा तथा जल की मात्रा (प्रति 100 ग्राम में) | |||||
क्रमांक | खाद्य के नाम | प्रोटीन | चर्बी | शर्करा | जल |
1. | चावल | 6.9 | 0.4 | 79.2 | 13.0 |
2. | मैदा | 11.0 | 0.9 | 74.1 | 13.3 |
3. | चना | 17.1 | 5.3 | 61.2 | 9.8 |
4. | मसूर | 25.1 | 0.7 | 59.7 | 12.4 |
5. | उड़द | 24.0 | 1.4 | 60.3 | 10.9 |
6. | मूंग | 24.0 | 1.1 | 56.6 | 10.4 |
7. | सोयाबीन | 43.2 | 19.5 | 20.9 | 8.1 |
8. | मटर | 19.7 | 1.1 | 56.6 | – |
9. | मकई (कोमल) | 4.3 | 0.5 | 15.1 | 79.1 |
10. | मकई (सूखी हुई) | 11.1 | 3.6 | 66.2 | 14.9 |
कार्बोहाइड्रेटस – Carbohydrates
सर्दी-जुकाम, चिड़चिड़ापन, थकान शरीर में कार्बोहाइड्रेट (मीठे) की कमी से होते हैं। इन्हें दूर करने के लिए रोगी को कार्बोहाइड्रेट्स वाले पदार्थ जैसे-उबले हुए आलू, धोकर उबाले हुए चावल, गाजर, मूली, शकरकन्दी आदि खाने चाहिए।
कार्बोहाइड्रेट शरीर में शक्ति उत्पन्न करने का प्रमुख स्रोत है। शरीर को शक्ति और गर्मी प्रदान करने के लिए यह चर्बी की तरह कार्य करता है। कार्बोहाइड्रेटस चर्बी की अपेक्षा शरीर में जल्दी पच जाते हैं। शरीर को कार्बोहाइड्रेट दो प्रकार से प्राप्त होता है- पहला स्टार्च तथा दूसरा चीनी। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, मोटे अनाज, चावल, दालें तथा जड़ों वाली सब्जियों में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट को स्टार्च कहा जाता है।
केला, अमरूद, गन्ना, चुकन्दर, खजूर, छुहारा, मुनक्का, अंजीर, शक्कर, शहद, मीठी सब्जियां, सभी मीठी वस्तुओं से प्राप्त होने वाले कार्बोहाइड्रेटस अत्यधिक शक्तिशाली और स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होते हैं परन्तु इनकी अधिकता अनेक खतरनाक जानलेवा रोगों को भी जन्म देती है जिसमें प्रमुख रूप से अजीर्ण, मधुमेह, अतिसार रोग होते हैं। इसके अलावा कार्बोहाइड्रेटस युक्त पदार्थों की अधिकता से वजन भी बढ़ जाता है जिससे रोगी को अनेक घातक रोग आ घेरते हैं।
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