Early symptoms of pregnancy in Hindi – हर एक महिला, उसकी हेल्थ, सोच, समझ और सहनशीलता अलग होती है। जब 10 अलग-अलग महिलाएं एक साथ प्रेग्नेंट होती हैं, तो यह जरूरी नहीं है कि सबको एक जैसी ही परेशानियों से गुजरना पड़े या सभी को एक जैसे ही अनुभव हों। जहाँ कुछ महिलाएं प्रेगनेंसी शुरू होने के बाद लगभग एक महीने तक (जब तक पीरियड्स न आ जाएँ) इसे अनुभव नहीं कर पाती, वहीं ऐसा भी हो सकता है कि किसी महिला को इसका अनुभव पहले ही हफ्ते में हो जाए।
Early symptoms of pregnancy in Hindi- किसी भी महिला की प्रेगनेंसी की जानकारी उसे तब तक नहीं लग पाती, जब तक उसके पीरियड्स मिस नहीं हो जाते। जिन महिलाओं को पीरियड्स खत्म होने के तुरंत बाद प्रेगनेंसी हो जाए उनके लिए तो प्रेगनेंसी को पहचानना थोड़ा मुश्किल ही होता है, क्योंकि उसके अलगे पीरियड्स आने में, काफी दिन बचे होते हैं। ऐसे में, उसे अपनी प्रेगनेंसी की जानकारी अगले पीरियड्स मिस होने के बाद ही चल पाती है। वहीं जिन महिलाओं को पीरियड्स की डेट के कुछ समय पहले ही प्रेगनेंसी हो वह प्रेगनेंसी का अंदाजा, पहले या दूसरे हफ्ते में ही लगा सकती हैं, क्योंकि उनके पीरियड्स मिस हो जाते हैं।
Early symptoms of pregnancy in Hindi: प्रेगनेंसी का पहला और दूसरा हफ्ता : प्रेगनेंसी की शुरुआत के साथ ही महिला के शरीर में अदंरूनी तौर पर बहुत से बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। इन बदलावों को यदि महिला बेहद बारीकी से गौर करे तो नोटिस कर सकती हैं, लेकिन ज्यादा तर महिलाओं को, खास तौर पर जो प्रेगनेंसी की प्लैनिंग ही न कर रहीं हों, पहले या दूसरे हफ्ते में इसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है। पहले और दूसरे हफ्ते में, प्रेगनेंसी केवल मेडिकल टेस्ट के द्वारा ही पता की जा सकती है। हालाँकि किसी भी महिला की प्रेगनेंसी के बाद कुछ लक्षण हैं, जो नज़र आते हैं, यदि महिला खुद में हो रहे इन बदलावों पर गौर करे तो वह अपनी प्रेगनेंसी का पता लगा सकती है।
प्रेगनेंसी के पहले और दूसरे हफ्ते में महिला को कुछ इस तरह के लक्षण नज़र आते हैं-
- ज्यादा सेंसेटिव (संवेदनशील) हो जाना-इस दौरान महिलाएं बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं।
- जी मिचलाना और उल्टी होना-प्रेगनेंसी की शुरुआत होते ही महिला के लिए जी मिचलाना और उल्टी होना बेहद आम है। लेकिन उल्टी और मतली किसी को भी और कभी भी हो सकती है। प्रेगनेंसी में उल्टी और मतली को इस चीज से अलग किया जा सकता है कि महिला को हर वह चीज जिससे किसी भी प्रकार की कोई खुशबु आती हो, उसके प्रति बहुत संवेदनशील हो जाती हैं, और यदि उन्हें उसकी महक पसंद न आए तो उसकी मतली और उल्टी की समस्या अपने चरम पर पहुंच जाती है। वह चीजें भी, जिससे पहले उसे ज्यादा परेशानी नहीं होती थी, तुरंत जी मचलने और उल्टी होने का कारण बन सकती है।
- मिजाज बदल जाना-प्रेगनेंसी में, जब महिला के शरीर में अंदरूनी तौर पर जब बदलाव होने शुरू होते हैं, तो वह उन्हें किसी न किसी रूप में महसूस जरूर करती है। ऐसे में वह समझ भी नहीं पाती कि यह क्यों हो रहा है, और यह तकलीफ इतनी ज्यादा भी नहीं होती कि उसके लिए डॉक्टर के पास जाए, ऐसे में उसे बैचेनी होने लगती है। यही बैचेनी उसके मन और स्वभाव को भी प्रभावित करती है।
- गैस बनना-गैस बनना बेहद आम समस्या है, लेकिन प्रेगनेंसी में यह थोड़ी नियमित हो जाती है। आम दिनों में यदि आपने सही मात्रा में और सही, आहार लिया है और ऐसी कोई गलती नहीं की है जिससे गैस बने तो आप गैस की समस्या से बच जाती हैं, लेकिन प्रेगनेंसी में गैस की समस्या थोड़ी और बढ़ जाती है और आप अकारण भी गैस बनने की शिकायत कर सकती हैं। इसका कारण एक हार्मोन प्रोजेस्टेरोन होता है जो महिला के शरीर में प्रेगनेंसी के बाद बनना शुरू होता है।
- कॉन्स्टिपेशन-कब्ज किसी को भी हो सकती है, ऐसे में इसे प्रेगनेंसी के लक्षण के तौर पर पहचानना थोड़ा अटपटा जरूर लगता है। लेकिन वह महिलाएं भी, जिन्हें आम तौर पर यह समस्या नहीं होती, प्रेगनेंसी में इसकी समस्या हो सकती है। इसका कारण भी वही हॉर्मोन प्रोजेस्टेरोन ही है, जिसके कारण इस समस्या को बढ़ावा मिलता है। प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन महिला के शरीर की सभी मांशपेशियों, (पेट की भी) के संकुचन को धीमा कर देता है और इससे पेट में खाने की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है। इसी के कारण, महिला को गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याएँ होती हैं।
- ब्रैस्ट में दर्द-महिलाओं को ब्रैस्ट में दर्द और सूजन जैसी महसूस होना, प्रेगनेंसी का सबसे ज्यादा आम लक्षण है। आम दिनों में, ज्यादातर महिलाओं को इस तरह की समस्या नहीं झेलनी पड़ती, लेकिन यदि किसी महिला के पीरियड्स मिस हो गए हों और उसे यह समस्या हो रही हो, तो उसके प्रेग्नेंट होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
- थकान-प्रेगनेंसी की शुरुआत में, महिला को थकान भी होने लगती है। दरअसल इसका कारण आपके गर्भ में भ्रूण बनने की शुरुआत होता है। इस दौरान, आपका शरीर आपके भ्रूण पर ध्यान केंद्रित करने और उसकी देखभाल में लग जाता है। अब आपके शरीर को और ज्यादा रक्त बनाने की जरूरत पड़ने लगती है, यही रक्त बेबी को पोषक तत्वों को पहुंचाता है। इसके कारण आपके शरीर के अंदरूनी हिस्सों का कार्य बढ़ जाता है और आपको थकावट सी महसूस होने लगती है वहीं इसका एक और कारण प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन भी है, शरीर में इसके बढ़ने से महिला को नींद ज्यादा आती है।
- भूख में बदलाव-इस दौरान महिलाओं की भूख बढ़ जाती है और उसे पहले के मुकाबले ज्यादा चटपटा खाने का मन होता है।
- यूरिन पहले के मुकाबले ज्यादा जाती हैं-इस दौरान, महिलाएं पहले के मुकाबले ज्यादा बाथरूम जाना शुरू कर देती हैं।
- बिमारों जैसा महसूस होना-इस दौरान, महिलाओं को बेहद अलग सा और थोड़ा बीमारों के जैसा महसूस होना शुरू हो जाता है। यहाँ तक कि उसे खुद भी समझ नहीं आता कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है।
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